साईं बाबा की धूप आरती | Dhoop (Sunset) Arti – Sai Baba Arti – Hindi Lyrics

साई बाबा धुप आरती

Dhoop Arti is done everyday at Shirdi at sunset. Presenting lyrics of Dhoop Arti of Sai Baba in English.

|| श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय ||

-music-

आरती साईबाबा
सौक्यादातारा जीवा, चरणरजतळी
द्यावा दासा विसावा, भक्ता विसावा
आरती साईबाबा

जालुनी अनंग, सस्वरूपी राहे दंग
मुमुक्षु जनांदावी
निज डोला श्रीरंग, डोला श्रीरंग
आरती साईबाबा

जय मणि जैसा भाव, तया तैसा अनुभव
दाविसी दया गणा
ऐसी तुझी ही माव, तुझी ही माव
आरती साईबाबा

तुमचे नाम द्याता, हरे संस्कृति व्यता
अगाध तव करणी
मार्ग दाविसी अनाथ, दाविसी अनाथ
आरती साईबाबा

कलियुगी अवतार, सगुण परब्रह्म साचार
अवतीर्ण झालासे
स्वामी दत्त दिगंबर, दत्त दिगंबर
आरती साईबाबा

आटा दिवस गुरुवारी, भक्त करती वारी
प्रभुपद पहावय
भवभय निवारी, भय निवारी
आरती साईबाबा

माज़ा निजद्रव्य ठेवा, तव चरण रज सेवा
मांगने हेचि आता
तुम्हां देवादि देवा, देवादि देवा
आरती साईबाबा

इछित दीन चातक, निर्मल तोय निजसुख
पाजावें माधवा या
सांभाळ आपुली भाक, आपुली भाक

आरती साईबाबा
सौक्यादातारा जीवा चरणरजतळी
द्यावा दासा विसावा, भक्ता विसावा
आरती साईबाबा

-music-

शिर्डी माजे पंढरपुर
साईबाबा रामावर, बाबा रामावर
साईबाबा रामावर

शुद्ध भक्ति चंद्रभागा
भाव पुंडलिक जागा, पुंडलिक जागा
भाव पुंडलिक जागा

याहो याहो अवघे जन
करू बाबांसी वंदन, साईसी वंदन
करू बाबांसी वंदन

गणु म्हणे बाबा साई
धाव पाव माझे आई, पाव माझे आई
धाव पाव माझे आई
-music-
गालीन लोटांगण वंदिन चरण, डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे
प्रेमे आलिंगिन आनंदे पूजिन, भावे ओवालीन म्हणे नाम

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव

कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा , बुधयात्मा नावा प्रकृति स्वभावत
करोमि यद्यत सकलं परस्मै , नारायणायेति समर्पयामि
अछूतम केशवं राम नारायणं कृष्ण दामोदरं वासुदेवं हरिम
श्रीधरम माधवं गोपिका वल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे

हरे राम, हरे राम
राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
श्री गुरुदेव दत्त

अनंथा तुला ते, कसे रे स्तवावे
अनंथा तुला ते, कसे रे नमावे
अनंथा मुखांचा, शिणे शेष गातां
नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथ

स्मरावे करि, त्वत्पद नित्य भावे
उरावे तरि, भक्ति साटि स्वभावे
तरावे जगा, तारुणि माय ताता
नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथ

वसे जो सदा, दावया संत लीला
दिसे अज्ञ, लोकांपरी जो जनांला
परि अन्तरि, ज्ञान कैवल्यदाता
नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथ

बरा लाडला, जन्म हा मानवाचा
नरा सार्थका, साधनी भूत साचा
धरु साई प्रेमा, गलाया अहंता
नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथ

धरावे करि सान, अल्पज्ञ बाला
करावे अम्हा, धन्य चुम्बोनी गाला
मुखी गाला प्रेमे, खरा ग्रास आता
नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथ

सुराधिक ज्यांच्या, पद वन्दिताती
सुखादिक ज्ञांते, समानत्व देती
प्रयागादि तीर्थे, पड़ी नम्र होता
नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथ

तुज़्या ज्या पड़ा पाहता गोप बाली
सदा रंगली चित्स्वरूपी मिळाली
करि रास क्रीड़ा सवें कृष्ण नाथा
नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथ

तुला मागतो मांगने, एक द्यावे
करा जोडितो, दीन अत्यंत भावे
भवी मोहनीराज, हा तारी आता
नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथ
-music-
ऐसा येई बा, साई दिगम्बरा
अक्षय रूप अवतारा, सर्वहि व्यापक तू
श्रुति सारा अनसुया त्रिकुमारा, बाबा येई बा

काशी स्नान जप, प्रति दिवसी
कोल्हापुर भिक्षेसी, निर्मल नदि तुंगा
जल प्रासी, निद्र माहुर देशी
ऐसा येई बा

झोली लोम्ब तसे, वाम करि
त्रिशूल डमरू धारी, भक्तां वरद सदा
सुखकारी, देशिल मुक्ति चारी
ऐसा येई बा

पायी पादुक जपमाला, कमण्डलु मृगछाला
धारण करिशी बा, नाग जटा मुगुट शोभतो माता
ऐसा येई बा

तत्पर तुज्या या जे ध्यानी, अक्षय त्यांचे सदनी लक्ष्मी निवास करी
दिन रजनी, रक्षिसी संकट वारुणी
ऐसा येई बा

या परि ध्यान तुझे गुरुराया, दृष्य करि नयनां या
पूर्णानन्द सुखे ही काया, लाविसि हरि गुण गाया

ऐसा येई बा, साई दिगम्बरा
अक्षय रूप अवतारा, सर्वहि व्यापक तू
श्रुति सारा अनसुया त्रिकुमारा, बाबा येई बा

सदा सत्स्वरूपम, चिदानंद कंदम
जगत सम्भवस्थान, संहार हेतुं
स्वभक्ते छया मानुषं, दर्श यन्तं
नमामीश्वरम सद्गुरुं साईनाथम

भवद वांत विध्वंस, मार्तन्ड मीडयम
मनोवागतीतम मुनिर, ध्यान गम्यं
जगद व्यापकं निर्मलं निर्गुणं त्वां
नमामीश्वरम सद्गुरुं साईनाथम

भवाम भोधि, मग्नार्दितानाम जनानां
स्वपादा स्रितानाम, स्वभक्ति प्रियाणां
समुधारणार्थं कलो सम्भवन्तं
नमामीश्वरम सद्गुरुं साईनाथम

सदा निम्ब वृक्षस्य, मूलाधिवासत
सुधा स्त्रावीनं, तिक्त मप्यप्रियंतं
तरुं कल्प वृक्षाधिकम साधयन्तं
नमामीश्वरम सद्गुरुं साईनाथम

सदा कल्प वृक्षस्य, तस्या धिमूले
भवद भाव बुध्या, सपर्या धि सेवाम
नृणाम कुर्वतां भुक्ति मुक्ति प्रदन तम
नमामीश्वरम सद्गुरुं साईनाथम

अनेका श्रुतात कर्य, लीला विलासेहि
समा विष्कृतेशान, भास्वत प्रभावं
अहम् भाव हीनम, प्रसन्नात्म भावम
नमामीश्वरम सद्गुरुं साईनाथम

सताम विश्रामा, राम मेवाभिरामम
सदा सजने संस्तुतम, सन्न मद्भिहि
जना मोददम भक्त भद्र प्रदन तम
नमामीश्वरम सद्गुरुं साईनाथम

अजन्माद्य मेकम, परब्रह्मा साक्षात
स्वयं सम्भवं, राम मेवा वतीर्णं
भवद दर्शनाद सम्पुनितः प्रभो हं
नमामीश्वरम सद्गुरुं साईनाथम

श्री साईश कृपा निधेकिला नृणाम, सर्वार्थ सिद्धि प्रधा
युष्मद पाद रजः पराभव मतुलम, दाता पिवक्ता क्षमः

सद्भक्त्या शरणाम कृतां जलिपुटः, सम्प्रापितोस्मि प्रभो
श्रीमद साईपरेश पाद कमलान, न्यांय चरण्य मम

साई रूप धर राघ वोतमां, भक्त काम विबुध द्रुमम प्रभुम
माययो पहत चित्त शुधये, चिंतयं यामहरणी शंभुदा

सरत सुधाँशुर प्रतिमं प्रकाशम्, क्रिपात पत्रं तव साईनाथ
त्वदीय पदाब्ज समाश्रितानाम, स्वछायया ताप मपा करोतु

उपासना दैवत साईनाथ, स्तवैर मयो पासनिना स्तुवास्तवम
रमेन मनोंमे तव पादयुग्मे, ब्रिंगो यताब जे मकरंद लुब्दाः

अनेक जन्मार्जित पाप संक्षयो, भवेद भवद पाद सरोज दर्शनाद
क्षमस्व सर्वाण अपराध पुंजकान, प्रसीद साईश गुरो दया निदे

श्री साईनाथ चारणान मृत पूत चितास, तत पाद सेव नरता सततं च भक्त्या
संसार जन्य दूरितो धविनिर्गतास्ते, कैवल्य दाम परमम् समवाप्नुवंती

स्तोत्रमेतत पडैत भक्त्या, यो नर स्तंमना सदा
सद्गुरु साईनाथस्य कृपा पात्रं भवेद ध्रुवं

रुसो मम प्रियाम्बिका, मजवरी पिताही रुसो
रुसो मम प्रियांगना, प्रियसुतात मजाहि रुसो
रुसो भगिनी बंधुही, स्वसुर सासुभाई रुसो
न दत्त गुरु साई मा मजवरी कधी ही रुसो

पुसो न सुनभाई, त्या मजन ब्रातृ जाया पुसो
पुसो न प्रिय सोयरे, प्रिय सगे न ज्ञाति पुसो
पुसो सुह्रिदना सखा, स्वजन नाप्त बंधु पुसो
न दत्त गुरु साई मा मजवरी कधी ही रुसो

पुसो न अबला मुले, करुण वृद्धहीना पुसो
पुसो न गुरु धाकुटें, मजन थोर साने पुसो
पुसो नच भले बुरे सूजन साधु ही न पुसो
करी न गुरु साई मा मजवरी कधी ही रुसो

रुसो चतुर तत्ववित्त, विभुध प्रज्ञ ज्ञानी रुसो
रुसो ही विदुषी स्त्रिया, कुशल पंडिता ही रुसो
रूसो महिपति यति, भजक तापसी ही रुसो
न दत्त गुरु साई मा मजवरी कधी ही रुसो

रुसो कवि ऋषि मुनि अनग सिद्ध योगी रुसो
रुसो ही गृह देवत, नि कुल ग्राम देवी रुसो
रुसो कल पिशाचही, मलिन डाकिनीही रुसो
न दत्त गुरु साई मा मजवरी कधी ही रुसो

रुसो मृग खग क्रिमी, अखिल जीव जंतु रुसो
रुसो विटप प्रस्तरा, अचल आपगाब्धी रुसो
रुसो ख पवन अग्निवार, अवनि पंचतत्त्वे रुसो
न दत्त गुरु साई मा मजवरी कधी ही रुसो

रुसो विमल किन्नरा, अमल यक्षिणी ही रुसो
रुसो शशि खगादिहि, गगनि तारकाही रुसो
रुसो अमल रजही, अधय धर्म राजा रुसो
न दत्त गुरु साई मा मजवरी कधी ही रुसो

रुसो मन सरस्वती, चपल चित्त तेहि रुसो
रुसो वपु दिशा किला, कठिन काल तोहि रुसो
रुसो सकल विश्वहि, मयि तु ब्रम्ह गोलम रुसो
न दत्त गुरु साई मा मजवरी कधी ही रुसो

विमूढ म्हणुनी हसो, मज न मत्सराही दसो
पदभी रुचि उल्हसो, जनन कर्दमी ना फसो
न दुर्ग द्रितीचा, दसो अशिव भाव मागे खसो
प्रपंची मन हे रुसो, दृढ़ विरक्ति चित्ती ठसो
कुणा चि हि घृणा, नसो नच स्पृहा कासाची असो
सदैव हृदयी वसो, मनसि साई ध्यानी वसो
पड़ी प्रणय वोरसो, निखिल दृश्य बाबा दिसो
न दत्त गुरु साई मा ऊपरी याचनेला रुसो

हरि ॐ
यग्नेय यग्न मय तंत्र देवाः, स्तानि धर्माणि प्रत मान्यासन
तेह नाकम महिमाण सचंत्र यत्र पूर्वे, सद्या सन्ति देवताः
ॐ राजाधि राजय, प्रासेह्य साहिने, नमो वयंवेयर स्रवणाय कुर्महे
समेका माँका मक़ामाय मह्यं, कामेश्वरो वै श्रवणो ददातु
कुबेराय वै स्रवणाय महाराजाय नमः

ॐ स्वस्ति
साम्राज्यं भोरज्यं, स्वाराज्यं वैराज्यं
पारमेष्ट्यं राज्यम, महाराज्य माधि पत्या मयं
समंत पर्या ईष्या सार्वभौमः
सर्वा ुष्य अंता परार्धात, पृथिव्यै समुद्र पर्यन ताया एक रालिथि
तदप ऐश श्लोको गीतो मरुतः
परिवेष्टि तारो मरुत्तस्या वसंग्रहैः
आविक्षितस्य काम प्रेर विश्वे देवाः सभा सद इति
श्री नारायण वासुदेवाय सच्चिदानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय

कर चरण कृतं वाक, आय जम कर्म जम वा
श्रवण नयन जम वा, मानसं वा परा दम
विधित म विधितं वा, सर्व मे तत क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे, श्री प्रभो साईनाथ
श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय

राजा धि राज योगि राज परब्रम्ह साईनाथ महाराज
श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय

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Hetal Patil
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