Kakad arti means the early morning arti, which starts at 4:30 AM in Shirdi.
साईं बाबा की काकड़ आरती | Sai Baba Kakad Aarthi
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उठा उठा सकल जन, वाचे स्मरा गजानना
गौरी हरा चा नंदना, गज वदना गणपति
उठा उठा सकल जन
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ध्यानि आदुनि सुख मूर्ति, स्तवन करा ऐ के चित्ति
तोडे इल ध्यान मूर्ति, मोक्ष सुख सो ज्वाल
उठा उठा सकल जन
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जो निज भक्तां सा दात, वंद सुरवर समस्त
प्यासी ध्यात भव भय चिंत, विग्न वार्ता वर्ता निवारी
उठा उठा सकल जना
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तोहा सुख च सागर, श्री गण राज मोरेश्वर
भादेवी नदि तो गिरिधर, भक्त त्याचा होनी
उठा उठा सकल जन, वाचे स्मरा गजानना
गौरी हरा चा नंदना, गज वदना गणपति
उठा उठा सकल जन
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घन श्याम सुंदरा
घन श्याम सुंदरा श्रीधरा, अरुणोदय ज़ाला
उठिलवा करि वनमाई, वनमाई
उठिलवा करि वनमाई उदय, चरी मित्र आला
घन श्याम सुंदरा
आ……
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आनंद कंदा प्रभात काली
उठी सरली राती (x2)
काढ़ि भार शिर पात्र गेवुनि, दीनो हमभरती
लक्षितातिवा सुरी हरि, दीनो स्तन पळाला
उठिलवा करि वनमाली, वनमाली
उठिलवा करि वनमाली उदय, चरी मित्र आला
घन श्याम सुंदरा
सायंकाले हेके मेये, द्विजा गण अवघे वृक्षि
अरूणोदय होता च उडाले, चरावया वृक्षि
आ…..
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प्रभात काली उठुनि कावड़ी, तीर्थ पथ लक्षी
करुणि सड़ समार्जन गोपी
आ…..
कुम्ब गे ऊनि कुक्षी
यमुना जड़ा सी जाती मुकुंदा (x2)
ददयो धन भक्षी
घन श्याम सुंदरा श्रीधरा, अरुणोदय ज़ाला
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ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
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जो ध्यावे फल पावे, दुःख दिन से मन्न का
स्वामी दुःख दिन से मन्न का
सुख सम्पति घर आवे (x2)
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
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मात पिता तुम मेरे, शरण पडूँ मैं किसकी
स्वामी शरण पडूँ मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा, प्रभु बिन और न दूजा
आस करूँ मैं किसकी
ॐ जय जगदीश हरे
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तुम पूरन परमात्मा, तुम अन्तर्यामी
स्वामी तुम अन्तर्यामी
पार ब्रम्ह परमेश्वर (x2)
तुम सबके स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
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तुम करुणा के सागर, तुम पालन करता
स्वामी तुम पालन करता
मैं मुँह रख खल खामी, मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भरता
ॐ जय जगदीश हरे
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ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
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विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा
स्वामी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ (x2)
संतन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
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तन मन धन सब है तेरा
स्वामी सब कुछ है तेरा (x2)
तेरा तुझको अर्पण (x2)
क्या लागे मेरा
ॐ जय जगदीश हरे
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[ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरेभक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे] x2
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श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय
जोडूनिया कर चरणी, ठेविला माथा
परिसावी विनंती माज़े, पंढरीनाथा
असो नसो भाव आलो, तुझिया ठाया
कृपा दृष्टी पाहे मझ कड़े, सद्गुरु राया
अखंडित असावे सेयी, वाटते पायी
सांडूनि सँकोच ठाव, थोड़ा सा देयी
तुका म्हणे वांडी तुझी, वेडी वाकुडी
ज्ञाने भव पाश हाती, आपुल्या तोई
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उठा पांडुरंगा प्रभात, समयो पाथला
वैष्ण वांछा मेल गरुड़, पारी दाटला
गरुड़ पारा पासूनी, महाद्वारा पर्यन्त
सुरवरांची मांदी उभी, जोडुनि हाथ
शुख सनकाधिक नारद तुम्भर, भक्तांच्या कोटी
त्रिशूल डमरू गेवुनि उभा, गिरिजेचा पती
कलियुगी च भक्त नामान, उभा कीर्तनी
पाठी माघे ऊभी डोला, लावुनिया जनि
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उठा उठा श्री साईनाथ गुरु, चरण कमल धावा
आदि व्यादि भव ताप वारुणी, तारा जड़ जीवा
गेली तुम्हां सोडुनिया भव, ताम रजनी विलया
परिही अज्यानासि तुमची, भुलवी योग माया
शक्ति न आम्हां यत्किंचितही, तिजला साराया
तुम्हीच तीते सारुणि धावा, मुख जन ताराया
भो साईनाथ महाराज! भाव तिमिर नाशक रवि
अज्ञानी अम्ही किथि तव, वर्णावी तोरवी
ती वर्निता भागले, बहु वदनि सेश विधि कवि
स कृप हो ऊनि महिमा तुम च, तुम्ही च वद वावा
आधि व्यादि भव ताप वारुणी, तारा जड़ जीव
उठा उठा श्री साईनाथ गुरु, चरण कमल धावा
आदि व्यादि भव ताप वारुणी, तारा जड़ जीवा
भक्त मणि सद्भाव धरुनि, जे तुमानु सरले
ध्याया स्तव ते दर्शन तुम चे, द्वारी उभे ठेले
ध्यानस्ता तुमहान्स पाहुनी, मन अमुचे डाले
परी त्वद वचांमृत प्राशाया ते, आतूर ज़ाले
उघडूनी नेत्र कमला, दीन बंदु रमा कांता
पाहिबा कृपा दृष्टि, बालका जशी माता
रंजवी मधुर वाणी, हरि ताप साईनाथा
आम्ही च अपुले काजा स्तव तुझ, कष्ट विठो देवा
सहन करिशील ऐकुनि द्यावी, भेट कृष्ण दावा
उठा उठा श्री साईनाथ गुरु, चरण कमल धावा
आदि व्यादि भव ताप वारुणी, तारा जड़ जीवा
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उठा पांडुरंगा आता, दर्शन ध्या सकला
ज़ाला अरुणोदय सरली निद्रेची वेला
संत साधु मुनि अवघे, झालेती गोला
सोडा शेजे सुखा आता, भगुदा मुख कमला
रंग मंडपी महा द्वारी, ज़ालीसे दाटी
मन उठावीळ रूप, पहावया दृष्टी
राही रखुमाबाई तुम्हां, येवू ध्या दया
शेजे हालवूनी जागे, करा राया
गरुड़ हनुमंथ उभे, पहाती वाट
स्वार्गीचे सुर वर गेवुनि, आले बोभाट
झाले मुक्त द्वार लाभ, झाला रोखड़ा
विष्णु दास नामाण उभा, गेवुनि काकड़ा
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गेवुनि पंचारती करूँ, बाबांसी आरती
उठा उठा हो बांदव, ओवाळू ह र माधव
करुनिया स्तीर मन, पाहु गंभीर हे ध्यान
कृष्ण नाथ दत्त साई, जड़ो चित्त तुझे पायी
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काकड़ आरती करीतो, साईनाथ देवा
चिन्मय रूप धाकवि गेवुनि, बालक लघु सेवा
काम क्रोध मद मत्सर आटुनि, काकड़ा केला
वैराग्य चे तूप गालुनि, मी तो भिज वीला
साईनाथ गुरु भक्ति ज्वलने, तो मी पेट विला
तद वृद्धि जालुनी गुरुने, प्रकाश पाडिला
द्वैत तमा ना सूनी मिळवि, तत्स्वा रुपी जीवा
चिन्मय रूप धाकवि गेवुनि, बालक लघु सेवा
काकड़ आरती करीतो, साईनाथ देवा
चिन्मय रूप धाकवि गेवुनि, बालक लघु सेवा
भू केचर व्यापूनि अवघे, हृत कमली राहसी
तो ची दत्त देव शिर्डी, राहुनी पावसी
राहुनी ये थे अन्यत्रहि तू, भक्तां स्तव धावसी
निरसुनिया संकटा दासा, अनुभव दावीसी
न कले त्व लीलाही कोन्या, देवा वा मानवा
चिन्मय रूप धाकवि गेवुनि, बालक लघु सेवा
काकड़ आरती करीतो, साईनाथ देवा
चिन्मय रूप धाकवि गेवुनि, बालक लघु सेवा
त्वद यश दुन्दुभिने सारे, अम्भर हे कोंदले
सगुण मूर्ति पाहण्या आतुर, जन शिर्डी आले
प्राशुनि त्वद वचनामृत अमुचे, देह भान हर पले
सोडुनिया दुरभिमान मानस, त्वत चरणी वाहिले
कृपा करुणि साई मावुले, दास पदरी द्यावा
चिन्मय रूप धाकवि गेवुनि, बालक लघु सेवा
काकड़ आरती करीतो, साईनाथ देवा
चिन्मय रूप धाकवि गेवुनि, बालक लघु सेवा
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भक्तीचीया पोठी बोध, काकड़ ज्योति
पंच प्राण जिवे भावे, ओवाळु आरती
ओवाळु आरती माझा पंढरी नाथा, माझा साईनाथा
दोन्ही कर जोडुनि चरणी, ठेविला माथा
काय महिमा वर्णु आता, सांगणे हे कीती
कोटी ब्रम्ह हत्या मुख, पाहता जाती
राही रखुमाबाई उब्या, दोही दो बाही
मयुर पिच्छ चामरे ढ़ालिथी, आयी ये ठायी
तुका म्हणे दीप गेवुनि, उनमनीत शोभा
विटे वरि उभा दिसे, लावण्य गाभा
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उठा साधु संत सादा, आपु लाले हित
जाइल जाइल हा नर देह, मग खैंच्या भगवंत
उठो निया पहाते बाबा, उभा असे विटे
चरण तयांचे गोमटे, अमृत दृष्टि अवलोका
उठा उठा हो वेगेसी चला, जावु रावु लासी
जल तिल पाथ कांच्या राशि, काकड़ आरती देख लिया
जागे करा रुक्मिणी वर, देव आहे निज सुरात
वेगे लिंब लोन करा दृष्ट, होइल तयासी
दारी वाजंत्री वाजति, ढोल दमामे गर्जती
हो तसे काकड़ा आरती माझा, सद्गुरु रायांची
सिंह नाद शंक भेरी, आनंद हो तसे महा द्वारी
केशव राज विटे वरी, नामा चरण वंदितो
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[साईनाथ गुरु माझे आयी, मजला ठाव द्यावा पायीदत्त राज गुरु माझे आयी, मजला ठाव द्यावा पायी] x2
श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय
प्रभात समयी नभा, शुभ रवि प्रभा फाकली
स्मरे गुरु सदा अशा समयी, त्या चले ना कली
म्हणोनि कर जोडुनि, करु अता गुरु प्रार्थना
समर्थ गुरु साईनाथ, पुरवी मनो वासना
तमा निरसि बानु हा, गुरु नासि अज्ञानता
परन्तु गुरुचि करि, न रवि ही कधी साम्यता
पुन्हा तिमिर जन्म घे, गुरु कृपेनी अज्ञानना
समर्थ गुरु साईनाथ, पुरवी मनो वासना
रवि प्रगट होवुनि, त्वरित गालवी आलास
तसा गुरु हि सोढवी, सकल दुष कृति लालसा
हरोनी अभिमान ही जड़वि, तद पड़ी भावना
समर्थ गुरु साईनाथ, पुरवी मनो वासना
गुरुसि उपमा दिसे विधि, हरी हरांची ऊनि
कुठोनी मग एइथी गवनी, या उगी पाहुनी
तुझी च उपमा, तुला भरवी शोभते सज्जना
समर्थ गुरु साईनाथ, पुरवी मनो वासना
समाधी उतरोनिया, गुरु चला मशीदीकडे
त्वदीय वचनोक्ति ती, मधुर वारिति साकडे
अजात रिपु सद्गुरो, अखिल पातका बंजना
समर्थ गुरु साईनाथ, पुरवी मनो वासना
अहा सु समयासी या, गुरु उठोनिया बैसले
विलोकुनि पदाश्रिता, तदीय आपड़े नासिले
असा सुहित कारी या, जगती कोणीही अन्य ना
समर्थ गुरु साईनाथ, पुरवी मनो वासना
असे बहुत शहना, परि ना ज्या गुरु ची कृपा
न तत्स्व हित त्या, कले करित से रि काम्या गपा
ज़री गुरु पड़ा, धरी सुद्रढ़ भक्ति ने तो मना
समर्थ गुरु साईनाथ, पुरवी मनो वासना
गुरो विनंती मी करी, हृदय मंदिरी या बसा
समस्त जग हे गुरु स्वरूप ची, ठसो मानसा
घडो सतत सत कृति, मतिहि दे जगत पावना
समर्थ गुरु साईनाथ, पुरवी मनो वासना
प्रेमे या अष्ट कासी पढुनि गुरुवरा, प्रार्थी ती जे प्रभाती
त्यांचे चित्तासी देतो अखिल हरुनिया, ब्रांति मी नित्य शांति
ऐसे हे साईनाथे कथुनी सुचविले, जेवि या बालकासी
तेवी त्या कृष्ण पायी, नमुनि सविनये अर्पितो अष्ट कासी
श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय
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साई रेहम नज़र करना, बच्चों का पालन करना (x2)
जाना तुमने जगत पसारा, सब ही झूठ ज़माना (x2)
साई रेहम नज़र करना, बच्चों का पालन करना (x2)
मैं अँधा हूँ बंधा आपका, मुझको चरण दिखलाना (x2)
साई रेहम नज़र करना, बच्चों का पालन करना (x2)
दास गणु कहे अब क्या बोलूं, थक गई मेरी रसना (x2)
साई रेहम नज़र करना, बच्चों का पालन करना (x2)
रेहम नज़र करो अब मोरे साई
तुम बिन नहीं मुझे माँ बाप भाई
रेहम नज़र करो
मैं अँधा हूँ, बंधा तुम्हारा (x2)
मैं ना जानूं (x3)
अल्लाह इलाही
रेहम नज़र करो
रेहम नज़र करो अब मोरे साई
तुम बिन नहीं मुझे माँ बाप भाई
रेहम नज़र करो
खाली ज़माना मैंने गमाया (x2)
साथी आखर तू (x3)
और न कोई
रेहम नज़र करो
रेहम नज़र करो अब मोरे साई
तुम बिन नहीं मुझे माँ बाप भाई
रेहम नज़र करो
अपने मशिद का झाड़ू गणु है (x2)
मालिक हमारे (x3)
तुम बाबा साई
रेहम नज़र करो
रेहम नज़र करो अब मोरे साई
तुम बिन नहीं मुझे माँ बाप भाई
रेहम नज़र करो
तुझ काय देवु, सावळ्या मी काया तरि हो
तुझ काय देवु, सद्गुरु मी काया तरि
मी दुबली बटिक, नाम्याची जान श्री हरी (x2)
उछिष्ट तुला देने हि, गोष्ट ना भरी हो
उछिष्ट तुला देने हि, गोष्ट ना भरी
तू जग्गनाथ तुझ देवु, कशी रे भाकरी (x2)
नको अंत मदिय, पाहु सख्या भगवंता श्रीकांता
माद्यान रात्रि उलटोनि गेलिनी आता, आन चित्ता
जा होईल तुझा रे, काकड़ कि रावुलान्तरि हो
जा होईल तुझा रे, काकड़ कि रावुलान्तरि
आन तील भक्त नैवेद्य हि, नाना परि (x2)
तुझ काय देवु, सावळ्या मी काया तरि हो
तुझ काय देवु, सद्गुरु मी काया तरि
मी दुबली बटिक, नाम्याची जान श्री हरी (x2)
श्री सद्गुरु बाबा साई हो, श्री सद्गुरु बाबा साई
तुझ वांचूनि आश्रय नाही, भूतली (x2)
मी पाप पतित दीमंथ हो, मी पाप पतित दीमंथ हो
तारने मल गुरुनाथा जड़करी
तारने मल साईनाथा जड़करी
तू शांति क्षमेचा मेरु हो, तू शांति क्षमेचा मेरु हो
तुम्ही भवार्णवीचे तारु गुरुवरा (x2)
गुरुवरा मजसि पावरा, अथा उधरा
त्वरित लवलाही (x2)
मी भुड़तो भव भय दोही उधरा (x2)
श्री सद्गुरु बाबा साई हो, श्री सद्गुरु बाबा साई
तुझ वांचूनि आश्रय नाही, भूतली (x2)
श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय
राजा धि राज योगी राज परब्रम्ह साईनाथ महाराज
श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साईनाथ महाराज की जय